ऐसी खबरे जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आपके धन से जुडी हुई है...आपकी और हमारी भाषा में
Wednesday, April 21, 2010
डिफोल्टर डाटाबेस (सिबिल) से अपना नाम हटवाने के टिप्स
जब आप के द्वारा भुगतान नहीं किया जाता, ऐसी स्थिति में बेंक आपका नाम सामूहिक डिफोल्टर डाटाबेस यानी की क्रेडिट इन्फोर्मेशन ब्यूरो में सूचित कर देता है. पर यह बेंक की जवाबदारी है की वह समझौता हो जाने पर और आपके द्वारा रकम चूकाने पर सिबिल को सूचित करे, ताकि आपका नाम वहा से हटाया जाए, पर अक्सर ऐसा होता नही है, और जब तक आप का नाम सिबिल में है, तब तक आप दूसरा लोन या क्रेडिट कार्ड नहीं ले पाएंगे| तो नीचे कुछ टिप्स दिए गए है ताकि आप अपना नाम सिबिल से हटवा पाए.
१. सबसे पहले आपको अपने खाते पर लंबित पूरी राशि का भुगतान करना चाहिए और एक बैंक से अनापत्ति प्रमाणपत्र्र (No Objection Certificate) लेना चाहिए.
ज्यादातर मामलो में बेंक अपने ग्राहक के साथ एक मुश्त समझौते के तहत भुगतान लेता है जिसमे वो काफी रियायते देता है.
२. अनापत्ति प्रमाणपत्र्र (No Objection Certificate) लेकर आप बेंक को लिखित में सूचित करे की वह आपका नाम सिबिल से हटवा ले.
३. यदि बेंक ३० दिनों के भीतर आपका नाम नहीं हटवाता है, तो आप अपने बेंक के खिलाफ शिकायत कर सकते है, साथ ही साथ क़ानूनी कार्यवाही भी कर सकते है.
४. आप सीधे सिबिल को अनापत्ति प्रमाण पत्र की एक प्रति भेज कर, चूककर्ता सूची से अपना नाम निकालने की गुज़ारिश कर सकते है, क्योकि अब आपके ऊपर कोई रकम बकाया नहीं है.
एक बार आपका नाम सिबिल से हट जाने पर आप फिर से लोन के लिए आवेदन कर सकते है.
अपने खुद के अनुभवों के आधार पर यहाँ मै कहना चाहूँगा की जहा तक हो सके लोन सरकारी बेंको से ले, वे आपको लोन चुकाने में काफी सुविधाए देते है और आप पर नाहक दबाव नहीं बनाते है, और पारदर्शिता भी काफी रखते है.
Tuesday, April 20, 2010
अपने पैसे को करें मैनेज
सिर्फ कमाने-खाने व उ़डाने का नाम ही जिंदगी नहीं है। जीवन में भविष्य की प्लानिंग भी करनी प़डती है और सबसे अह्म है फाइनेंशियल प्लानिंग। भविष्य के लिए बचत करना न सिर्फ समझदारी की बात है वरन् एक आवश्यकता भी है। अगर समय रहते बचत कर ली जाए, तो आकस्मिक दुर्घटनाओं व अप्रत्याशित खर्चो का सामना आसानी से किया जा सकता है।
कुछ लोगों का यह मानना है कि बचत करने के लिए हाथ में अतिरिक्त पैसा होना चाहिए, लेकिन अगर आप एक बजट बनाकर चलते है, तो अपनी सीमित आय में आसानी से सेविंग कर सकते हैं।
बजट बनाएं: अपने खर्च को जानने के लिए बजट बनाना जरूरी है। अपने सारे खर्चो को अलग-अलग वर्गो में डालें, इससे यह समझना आसान हो जाएगा कि आप कहां फिजूलखर्ची कर रहे हैं। अपनी कुल आय का दसवां हिस्सा बचत के लिए अलग निकाल लें। अगर ऎसा करना मुमकिन नहीं और महीने के अंत में उसमें से पैसे निकालने ही प़डते हैं तो 5 से 7 प्रतिशत से बचत करना शुरू करें। शुरू में थो़डी परेशानी होगी , लेकिन एक बार बजट बनाने के बाद मुश्किलें हल हो जांएगी। जब लिखित रूप में बजट आपके सामने होगा तो स्वंय ही समझ आ जाएगा कि फिजूलखर्ची कहां हो रही है।
फाइनेंशियल लक्ष्य बनाएं: सबसे पहले शार्ट टर्म व लान्ग टर्म फाइनेंशियल प्लान बनाएं। यानी आपको कब-क्या खरीदना है, इसकी लिस्ट बनाएं। जैसे आप कोई बिजली का उपकरण खरीदना चाहते है या फिर कोई कार या मकान। बिजली का उपकरण खरीदने के लिए आपको एक-दो महीने से ज्यादा इंतजार नहीं करना प़डता, परन्तु कार या मकान खरीदने के लिए आपको लंबे समय तक बचत करनी प़डेगी। आप तभी उसको खरीद पायेंगे और उसके लिए आप पूरी योजना बना के चलें।
अलग से सेविंग अकाउंट खोलें: आप अपनी बचत को सेलेरी अकाउंट में जमा न करें अन्यथा आप हमेशा अपनी बचत में खर्चे पूरे करते रहेंगे और वापस वही राशि जमा करना आसान नहीं होगा। एक अलग अकाउंट होने पर आपको सदा यह याद रहेगा कि इसमें जमा राशि आपकी बचत है और उसे बढ़ते देख आपको खुशी होगी एंव बचत करने की प्रेरणा भी मिलेगी।
अतिरिक्त आय को बचत खाते में डाले: जब कभी कोई एक्स्ट्रा इनकम हो, वेतन बढ़े, ओवरटाइम मिले, टैक्स रिफंड का पैसा मिले आदि तो उस पैसे को अपने बचत खाते में जमा कर दें। अगर कभी बचत खाते में से इमरजेंसी में पैसा निकालना भी प़डे तो समय पर उसे वापस जमा करा दें।
प्रतिदिन के खर्चों का हिसाब रखें: आप अपने दैनिक खर्चों पर एक नजर डाले। आप स्वंय पर और परिवार पर कितना खर्च करते है। घर में एक दिन में कितना खर्च होता है। रोज ऑफिस की कैंटिन में खाने की अपेक्षा घर से लंच ले जाएं। बच्चों को उनकी जरूरत का ही सामान दिलाएं। दूसरों की देखा-देखी घर में अनावश्यक चिजों का ढ़ेर न लगाएं। जरूरी सामान ही खरीदें। बिजली व पानी का उचित उपयोग करके भी आप बचत कर सकते है।
सामान खरीदनें से पहले लिस्ट बनाएं: बाजार में कई ऎसी चीजें होती है, जिन्हे देखकर मन ललचा उठता है और आवश्यकता न होने पर भी हम उन्हे खरीद लेतें हैं। बेहतर होगा कि लिस्ट बनाकर ही बाजार जाएं। सामान खरीदते समय मोल-भाव करें, इससे निश्चित रूप से बचत होगी। क्रेडिट कार्ड का उपयोग आवश्यकता होने पर ही करें: जहां तक संभव हो, भुगतान कैश से ही करें। क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने से खर्च ज्यादा हो जाता है। बहुत सारे क्रेडिट कार्ड न रखें। जहां तक हो सके किश्तों पर सामान लेने से बचें। अन्यथा ब्याज देने में ही वेतन पूरा हो जाएगा और बचत का विचार भी मन में नहीं आयेगा।
अपना पैसा सेविंग स्कीम, मुचुअल फंड में डाले: नए ज़माने में निवेश के साधनों में मुचुअल फंड एक महत्वपूर्ण विकल्प है, ये आपको शेयर बाज़ार में निवेश का फायदा तो देते ही है साथ ही जोखिम को नियंत्रित करते है एवं कुछ चुने हुए फंड में आपको टैक्स में भी छुट मिलाती है, इसमे निवेश करने से पूर्व इसके जोखिम को भी समझ लेना चाहिए। मै आपको अपनी अगली पोस्ट में इसके बारे में विस्तार में बताऊंगा.
पोस्ट ऑफिस व बैंक अनेक सेविंग स्कीम चलाते है, जिनका फायदा आप उठा सकते हैं। आप केवीपी या एनएससी ले सकतें हैं , जिन्हे 5 से 6 वर्ष के बाद कैश कराया जा सकता है। आप पीपीएफ में भी पैसा डाल सकते हैं , इसमें टैक्स में भी छूट मिलती है और आपका पैसा भी सुरक्षित रहता है। स्मॉल सेविंग स्कीम लेना ज्यादा ठीक रहता है। इसके साथ ही आप इंश्योरेंस भी कराएं। इंश्योरेंस का अर्थ सुरक्षित जीवन तो है ही , साथ ही यह बचत करने का भी एक अच्छा विकल्प है इस तरह आप अपने पैसे की बचत कर के उसी पैसे से अपने जीवन के सपनों को साकार कर सकते है और आप पर कोई अतिरिक्त भार भी नहीं प़डेगा।
Monday, April 19, 2010
सेबी का सराहनीय कदम
यह बचत ब्याज के रूप में हो रहे निवशको के नुकसान के आधार पर तय की गयी है, साथ ही साथ जल्दी लिस्टिंग से निवेशको दुसरे अवसर भुनाने का भी लाभ मिलेगा|
कई उन्नत देशो में आईपीओ बंद होने और लिस्टिंग के बिच की अवधि मात्र ३ दिन है। देश की प्रमुख रेटिंग कम्पनी क्रिसिल के अनुसार २०१० में लगभग ४०००० करोड़ रुपये आईपीओ के द्वारा जुटाए जायेंगे।
Sunday, April 18, 2010
मौद्रिक नीति तय करेगी शेयर बाजार की दिशा
इस परबाजार के साथ पूरे उद्योग जगत की नजर रहेगी। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार कंपनियों के चौथी तिमाही के परिणाम भी बाजार की चाल को प्रभावित करते रहेंगे। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों को बड़ा सकता है।
अल्पकालिक नीतिगत ब्याज दरों मतलब रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, CRR (पाठक इन रेट्स के बारे में जानने के लिए मेरी पुरानी पोस्ट पड़े) में चौथाई से लेकर आधा फीसदी तक वृद्धि हो सकती है। केंद्रीय बैंक के इस कदम से बैंकिंग तंत्र में ब्याज दरे बड सकती है | हालांकि, स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक जैसे बड़े बैंक यह मान रहे हैं कि बैंकों के पास ऋण के लिए धन की तंगी नहीं है, इसलिए ब्याज दरों में तुरंत वृद्धि की संभावना नहीं दिखाई देती।
यूनिट लिंक्ड बीमा उत्पाद (यूलिप) को लेकर भी शेयर बाजार कुछ सहमा हुआ है। बाजार नियामक सेबी और बीमा नियामक इरडा (IRDA) के बीच नाक की लड़ाई अब न्यायालय में पहुंच चुकी है। यहां होने वाले घटनाक्रम पर भी बाजार की नजर रहेगी।
बहरहाल बीते सप्ताह निवेशकों की मुनाफावसूली और विदेशी संस्थागत निवेशकों (ऍफ़ आई आई) की खरीदारी का जोर ज्यादा नहीं रहने से बंबई शेयर बाजार में समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान नौ सप्ताह से चली आ रही तेजी का दौर थम गया और अग्रिम पंक्ति के शेयरों में मुनाफावसूली से सूचकांक में 342 अंकों की गिरावट दर्ज की गई।
सप्ताह के दौरान बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक 17,591.18 अंक पर बंद हुआ। पिछले लगातार नौ सप्ताह के तेजी के दौर में सेंसेक्स में 2,017 अंकों अथवा 12.68 प्रतिशत की तेजी आई थी।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 99.15 अंकों की गिरावट के साथ 5,262.60 अंक पर बंद हुआ। बीएसई और एनएसई में कारोबार का आकार भी घटा है।
रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, बैंक रेट क्या होती है ?
रेपो रेट 5%
जब भी बैंकों को धन की कोई कमी होती है वे रिजर्व बैंक से उधार ले सकता है. रेपो दर वह दर है जिस पर बैंक, सिक्युरिटी के बदले आरबीआई से रुपए उधार लेते है. रेपो दर में कमी होने पर बैंकों को सस्ती दर पर पैसा उपलब्ध होता है एवं बड़ने पर महँगी दर से.
रिवर्स रेपो रेट 3.5%
यह रेट रेपो रेट की विपरीत है यानि जिस रेट पर रिज़र्व बैंक, अन्य बैंको से उधर लेता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते है. जब रिज़र्व बैंक को लगता है की बाज़ार में तरलता अधिक है यानि पैसा ज्यादा है तो वह बाज़ार से पैसा कम करने के लिए इसका प्रयोग करता है. जब यह रेट बढता है तब बेंक अपना पैसा रिसर्वे बैंक के पास रखते है जिससे उन्हें जोखिम रहित ब्याज मिलाता है, तदानुसार बैंक के पास अपने ग्राहकों के लिए पैसा कम रहता है जो बाज़ार से तरलता को कम करता है.
बैंक रेट 6%
यह रेट वह रेट है जिस पर रिसर्व बैंक अन्य बैंक को कम अवधि के लिए उधार देता है, बैंक इस रेट को अपने ग्राहकों को उधार देने के लिए बेंचमार्क की तरह प्रयोग करते है, इस रेट को आज prime rate या prime lending rate भी कहते है.
कॉल रेट
इस रेट पर बैंक अन्य बेंको से दैनिक उधार का लेन देन करते है.
CRR केश रिसर्वे रेशो (5.75%)
बेंको को अपने डिपोसिट का कुछ हिस्सा CRR की दर पर रिसर्व बैंक के पास रखना होता है, इसका प्रयोग रिसर्व बैंक बाज़ार में तरलता नियंत्रण के लिए एवं जोखिम कम करने के लिए किया जाता है.
CRR के अतिरिक्त बेंको को कुछ हिस्सा गवर्नमेंट सिक्युरिटी में भी रखना होता है, SLR रेट पर बेंक अपना पैसा गवर्नमेंट सिक्युरिटी में रखते है, इसका प्रयोग भी तरलता नियंत्रण के लिए किया जाता है.
एचडीएफसी ने पहले साल के लिए सस्ता किया होम लोन
नई दिल्ली। होम लोन उपलब्ध कराने वाली शीर्ष संस्था एचडीएफसी ने दोहरी दर योजना के अंतर्गत पहले साल के लिए आवास ऋण पर ब्याज दर घटाकर 8.25 फीसद कर दी है। यह फायदा सिर्फ नए ग्र्राहकों को मिलेगा। |
Wednesday, April 14, 2010
२० अप्रैल के बाद ब्याज दरो में बढोतरी संभव
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के स्थापना दिवस के मौके पर वित्त मंत्रालय में सचिव (वित्तीय सेवा) आर गोपालन ने कहा, 'मैं विशेषज्ञों के इस विचार से सहमत हूं कि मौद्रिक नीति को थोड़ा सख्त बनाने की जरूरत है।'
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और ग्रोथ को बढ़ावा देने के बीच संतुलन बनाना होगा। उन्होंने कहा, 'यह उनके (आरबीआई) ऊपर है कि वे किस इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल करते हैं।' 19 मार्च को आरबीआई ने रेपो और रिवर्स रेपो दोनों ही दरों में एक चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी कर दी थी।
क्या होती है ये रेपो और रिवर्स रेपो रेट और क्या प्रभाव होता है इनका महंगाई पर ? ये जानने के लिए पड़े मेरी अगली पोस्ट.
भविष्य निधि ब्याज दर
भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के ट्रस्टी मंडल ने वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान जमा भविष्य निधि पर ऊंची ब्याज दर के भुगतान के निर्णय को शुक्रवार को स्थगित कर दिया। इसके साथ ही ट्रस्टी मंडल ने उन संयुक्त उपक्रम वाली कंपनियों में निवेश करने का निर्णय लिया, जिनमें सरकार की कम से कम 26 प्रतिशत हिस्सेदारी हो। |
Monday, April 12, 2010
चलिए थोडा पैसा कमा लिया जाये
अब तक, बैंक, महीने की 11 तारीख और आखिरी दिन के बीच के सबसे कम मौजूद बैलेंस पर ब्याज देता था. एक महत्वपूर्ण परिवर्तन 1 अप्रैल २०१० से प्रभावी हो गया है.
बैंक के बचत खातों पर ब्याज दर तो नहीं बदला, यह 3.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है लेकिन अब बैंको को ब्याज की गड़ना दैनिक बैलेंस के आधार पर करनी होगी. हम सब जानते है, की सार्वाधिक खर्चे शुरुआत में ही होते है, महीने की ११ तारीख के बाद बचत खाते में कितना शेष बचता है ?
पुरानी गड़ना के अनुसार वास्तविक रूप से केवल २.९ प्रतिशत ब्याज ही मिलाता था पर अब ३.५ प्रतिशत पूरा ब्याज मिलेगा, यानि की ज्यादा कमाई.
चूँकि अभी तक बचत खाते से कमाए गए लाभ पर टीडिएस नहीं कटता इसलिए ज्यादा नगद रखने वाले लोग अपने कम समय के निवेश के लिए इस विकल्प को चुन सकते है, हां ये आपकी कमाई में जरुर जुड़ेगा और वहा करयोग्य होगा. fixed deposit पर साल में १०००० से ज्यादा ब्याज कमाने पर १० प्रतिशत TDS कटता है किन्तु बचत खाते पर यह नियम लागु नहीं होता.