Thursday, May 6, 2010

क्यों डॉलर का बुलबुला कभी भी फट सकता है ?

अभी तक अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में लगभग सारे कच्चे तेल की खरीदी बिक्री न्युयोर्क एवं लन्दन की तेल मंडी के जरिये डॉलर में होती रही है, ये दोनों ही एक्सचेंज अमेरिका के है. अमेरिका ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अपने सहयोगी देशो को हथियार एवं खुराक भेजे .. बदले में मुद्रा की जगह सोना लिया, १९४५ में दुनिया का लगभग ८०% सोना अमेरिका की तिजोरियो में था, इसी वजह से डॉलर निर्विवादित रूप से दुनिया भर के देशो की रिसर्व मुद्रा बन गई, और सोने से ज्यादा भरोसेमंद मानी जाने लगी. तभी ब्रेटन वूड्स अग्रीमेंट का जन्म हुआ.

अमेरिका ने अगले दशक में इसका भरपूर फायदा उठाया और जबरदस्त डॉलर छापे और सारे दुसरे देशो को आयत की गई वस्तु के लिए बाट दिए. इससे घर में महंगाई नहीं बड़ी क्योकि सारे डॉलर बहार भेजे जा रहे थे, इस तरह अमेरिका का सारा आयत भी मुफ्त हो गया.. क्योकि डॉलर छापना तो अमेरिका के हाथ में ही था.
आने वाले दशको में दुनिया की तिजोरिय डॉलर से भरने लगी. अन्वेषक मानते है की अमेरिका को छोड़ कर दुनिया के बाकि देशो के कुल जमा मुद्रा का ६६% डॉलर ही था. १९७१ में कुछ देशो ने अमेरिका को अपने डॉलर सोने के बदले में वापस बेचने की कोशिश करी Krassimir Petrov, (Ph. D. in Economics at Ohio University ) लिखते है "अगस्त १५ १९७१ को सरकार ने अपने भुगतानों में घपला किया, वास्तव में सोने में डॉलर के भुगतान को मना करना सरकार का दिवालियापन है" ब्रेटन वूड्स अग्रीमेंट धराशायी हो गया.
अब अमेरिका के लिए विश्व के दुसरे देशो का कागची डॉलर में
भरोसा बनाये रखना जरुरी हो गया था, इसका उपाए था कच्चे तेल में.
अमेरिका ने कूटनीति के तहत पहले साउदी अरब फिर OPEC देशो को भरोसे में लेकर तेल की बिक्री डॉलर में चालू करवाई, यह काम कर गया और डॉलर फिर बच गया, अब दुनिया के देशो को तेल खरीदने के लिए डॉलर बचाए रखना जरुरी हो गया और अमेरिका मुफ्त में तेल खरीदने लगा.
तेल ने सोने का स्थान ले लिया.
१९७१ में अमेरिका ने और ज्यादा डॉलर छापने चालू कर दिए.
Cóilínn Nunan, लिखते है की दुनिया में डॉलर छद्म मुद्रा बन गयी यहाँ तक की इंटरनॅशनल मोनेटरी फंड भी सिर्फ डॉलर में ही उधार देने लगा.
Keele University के Dr Bulent Gukay लिखते है की दुनिया में डॉलर के कोष ने डॉलर की मांग को नकली रूप से उचा बनाये रखा इससे अमेरिका के लिया आयत मुफ्त हो गया, और जब तक दुनिया का भरोसा डॉलर में है तब तक ये व्यवस्था चलती रहेगी.
अभी डॉलर सुरक्षित था किन्तु १९९० में पश्चिम यूरोप की तरक्की ने मध्य और पूर्व यूरोप को निगल लिया, फ्रेंच और जर्मन, अमेरिका के इस मुफ्त के प्रभुत्व से खार खाए बैठे थे और उन्हें भी अपना हिस्सा चाहिय था. १९९९ में अमेरिका के विरोध (ब्रिटेन के जरिये) के बावजूद उन्हें यूरो मुद्रा लाने में कामयाबी मिल गयी.
यूरो के शुरुआत के एक महीने बाद ही सद्दाम के इराक ने OPEC अग्रीमेंट को धता बताते हुए डॉलर के बजाये यूरो में तेल बेचने की घोषणा कर दी
इरान, रशिया, वेनेजुएला, लीबिया सभी खुल कर यूरो में तेल बेचने का समर्थन करने लगे
तभी सितम्बर २००१ में अमेरिका के ट्विन टावर ध्वस्त हुए, क्या यह डॉलर को बचाने के लिए था ? २००० में इराक ने यूरो में तेल बेचना शुरू कर दिया, कुछ दिनों बाद अमेरिका ने इराक पर हमला कर दिया.
पूरी दुनिया देख रही थी अमेरिका ने २००३ में इराक पर हमले के बाद सबसे पहले वहा के तेल भण्डारो पर कब्ज़ा किया. अमेरिकी हमलो में सरकारी भवनों में सिर्फ तेल विभाग का ही भवन ध्वस्त नहीं हुआ.
२००३ में वेनेजुएला के राष्ट्रपति chavez ने आधा तेल यूरो में बेचने की
घोषणा की, १२ अप्रैल २००३ को chavez का अपहरण हो गया और कुछ अमेरिकी प्रायोजित नेताओ ने तख्तापलट की कोशिश की. भीड़ ने इसका विरोध किया और तख्तापलट नाकामयाब हो गया.
मई २००७ में इरान ने खुद का आयल एक्सचेंज बनाने की घोषणा की, इरान न सिर्फ अब यूरो में तेल बेचेगा बल्कि वह खुद का बाज़ार भी निर्मित कर रहा था. chavez ने खुल कर इरान के इस एक्सचेज का समर्थन किया और अमेरिका को कागज का शेर कह कर संबोधित किया.
फ़िलहाल लगभग पूरी दुनिया का तेल NYMEX न्युओर्क और IPE लन्दन से संचालित होता है. दोनों ही अमेरिका के अधीन है. इरान की तेल मंडी यूरोप के लिए फायेदा का सौदा है क्योकि वह इरान का ७०% तेल खरीदता है,
और रशिया के लिए भी क्योकि वह ६६% तेल यूरोप को बेचता है. पर यह अमेरिका के लिए भयावह था.
भारत और चीन पहले ही इरान को तेल मंडी का समर्थन कर चुके थे. अब यदि इरान में नाभिकीय हथियारों का डर होता तो कौन इस तरह उसका समर्थन करता. अब सभी दुनिया के लिए डॉलर के बजाये
यूरो का भंडार जरुरी हो जाता और यदि पूरी दुनिया का ५% भी डॉलर अमेरिक को वापस लेना पड़े तो उसकी अर्थव्यवस्था ख़त्म हो जाएगी.
अब अमेरिका के पास इरान पर हमले या फिर सुन्नी और शिया के दंगे करवा के इरान को उलझाने के आलावा कोई रास्ता नहीं बचता, हा या फिर वो डॉलर को ख़त्म कर के कोई नई मुद्रा शुरू कर दे इससे दुनिया भर की तिजोरियो में रखे ६६% डॉलर कचरा हो जायेंगे, या पूरी दुनिया को वापस एक विश्व युद्ध में झोंक कर अपने हथियारों को डॉलर के बदले बेचना चालू कर दे.

आज दुनिया में इस्लाम को बदनाम कर अमेरिका अपनी कूटनीति चल रहा है, उसके लिए लोगो की जान की कोई कीमत नहीं, आज कच्चे तेल की कीमतों में वृधि भी अमेरिका के सट्टेबाजो द्वारा की गई है क्योकि पहले जिस कच्चे तेल के लिए कम डॉलर खरचने पड़ते थे अब ज्यादा देने पड़ेंगे. वह अपने देश की अर्थव्यवस्था बचाने के लिए किसी भी हद तक जायेगा, हो सकता है, डॉलर का बुलबुला फटने से पहले कई देश अमेरिका द्वारा बर्बाद कर दिए जाए.

Wednesday, April 21, 2010

डिफोल्टर डाटाबेस (सिबिल) से अपना नाम हटवाने के टिप्स

जब भी आप किसी बेंक से लोन लेते है, तो कई बार ऐसे मौके आते है, जब हम समय पर किश्त का भुगतान नहीं कर पाते. इसके कई कारण हो सकते है जैसे आर्थिक स्थिति डावाडोल होना, बैंक या क्रेडिट कार्ड कम्पनी से विवाद होना, कोई बड़ा खर्चा अचानक आ जाना, या फिर कमाई के जरिये का अचानक बंद हो जाना. ऐसी स्थिति में अक्सर हम घबरा जाते है लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है, आप कुछ समय बाद बैंक या क्रेडिट कार्ड कम्पनी से एक समझौते के तहत पूर्ण भुगतान कर सकते है, जिसमे एक मुश्त रकम देकर या इमआई को फिर से निर्धारित कर लोन चूकाने के इंतजाम होते है. इस समझौते के तहत आपको काफी छुट मिल सकती है.
जब आप के द्वारा भुगतान नहीं किया जाता, ऐसी स्थिति में बेंक आपका नाम सामूहिक डिफोल्टर डाटाबेस यानी की क्रेडिट इन्फोर्मेशन ब्यूरो में सूचित कर देता है. पर यह बेंक की जवाबदारी है की वह समझौता हो जाने पर और आपके द्वारा रकम चूकाने पर सिबिल को सूचित करे, ताकि आपका नाम वहा से हटाया जाए, पर अक्सर ऐसा होता नही है, और जब तक आप का नाम सिबिल में है, तब तक आप दूसरा लोन या क्रेडिट कार्ड नहीं ले पाएंगे| तो नीचे कुछ टिप्स दिए गए है ताकि आप अपना नाम सिबिल से हटवा पाए.
१. सबसे पहले आपको अपने खाते पर लंबित पूरी राशि का भुगतान करना चाहिए और एक बैंक से अनापत्ति प्रमाणपत्र्र (No Objection Certificate) लेना चाहिए.
ज्यादातर मामलो में बेंक अपने ग्राहक के साथ एक मुश्त समझौते के तहत भुगतान लेता है जिसमे वो काफी रियायते देता है.
२. अनापत्ति प्रमाणपत्र्र (No Objection Certificate) लेकर आप बेंक को लिखित में सूचित करे की वह आपका नाम सिबिल से हटवा ले.
३. यदि बेंक ३० दिनों के भीतर आपका नाम नहीं हटवाता है, तो आप अपने बेंक के खिलाफ शिकायत कर सकते है, साथ ही साथ क़ानूनी कार्यवाही भी कर सकते है.
४. आप
सीधे सिबिल को अनापत्ति प्रमाण पत्र की एक प्रति भेज कर, चूककर्ता सूची से अपना नाम निकालने की गुज़ारिश कर सकते है, क्योकि अब आपके ऊपर कोई रकम बकाया नहीं है.
एक बार आपका नाम सिबिल से हट जाने पर आप फिर से लोन के लिए आवेदन कर सकते है.
अपने खुद के अनुभवों के आधार पर यहाँ मै कहना चाहूँगा की जहा तक हो सके लोन सरकारी बेंको से ले, वे आपको लोन चुकाने में काफी सुविधाए देते है और आप पर नाहक दबाव नहीं बनाते है, और पारदर्शिता भी काफी रखते है.

Tuesday, April 20, 2010

अपने पैसे को करें मैनेज

अपने पैसे को करें मैनेज

सिर्फ कमाने-खाने व उ़डाने का नाम ही जिंदगी नहीं है। जीवन में भविष्य की प्लानिंग भी करनी प़डती है और सबसे अह्म है फाइनेंशियल प्लानिंग। भविष्य के लिए बचत करना न सिर्फ समझदारी की बात है वरन् एक आवश्यकता भी है। अगर समय रहते बचत कर ली जाए, तो आकस्मिक दुर्घटनाओं व अप्रत्याशित खर्चो का सामना आसानी से किया जा सकता है।
कुछ लोगों का यह मानना है कि बचत करने के लिए हाथ में अतिरिक्त पैसा होना चाहिए, लेकिन अगर आप एक बजट बनाकर चलते है, तो अपनी सीमित आय में आसानी से सेविंग कर सकते हैं।
बजट बनाएं: अपने खर्च को जानने के लिए बजट बनाना जरूरी है। अपने सारे खर्चो को अलग-अलग वर्गो में डालें, इससे यह समझना आसान हो जाएगा कि आप कहां फिजूलखर्ची कर रहे हैं। अपनी कुल आय का दसवां हिस्सा बचत के लिए अलग निकाल लें। अगर ऎसा करना मुमकिन नहीं और महीने के अंत में उसमें से पैसे निकालने ही प़डते हैं तो 5 से 7 प्रतिशत से बचत करना शुरू करें। शुरू में थो़डी परेशानी होगी , लेकिन एक बार बजट बनाने के बाद मुश्किलें हल हो जांएगी। जब लिखित रूप में बजट आपके सामने होगा तो स्वंय ही समझ आ जाएगा कि फिजूलखर्ची कहां हो रही है।
फाइनेंशियल लक्ष्य बनाएं: सबसे पहले शार्ट टर्म व लान्ग टर्म फाइनेंशियल प्लान बनाएं। यानी आपको कब-क्या खरीदना है, इसकी लिस्ट बनाएं। जैसे आप कोई बिजली का उपकरण खरीदना चाहते है या फिर कोई कार या मकान। बिजली का उपकरण खरीदने के लिए आपको एक-दो महीने से ज्यादा इंतजार नहीं करना प़डता, परन्तु कार या मकान खरीदने के लिए आपको लंबे समय तक बचत करनी प़डेगी। आप तभी उसको खरीद पायेंगे और उसके लिए आप पूरी योजना बना के चलें।
अलग से सेविंग अकाउंट खोलें: आप अपनी बचत को सेलेरी अकाउंट में जमा न करें अन्यथा आप हमेशा अपनी बचत में खर्चे पूरे करते रहेंगे और वापस वही राशि जमा करना आसान नहीं होगा। एक अलग अकाउंट होने पर आपको सदा यह याद रहेगा कि इसमें जमा राशि आपकी बचत है और उसे बढ़ते देख आपको खुशी होगी एंव बचत करने की प्रेरणा भी मिलेगी।
अतिरिक्त आय को बचत खाते में डाले: जब कभी कोई एक्स्ट्रा इनकम हो, वेतन बढ़े, ओवरटाइम मिले, टैक्स रिफंड का पैसा मिले आदि तो उस पैसे को अपने बचत खाते में जमा कर दें। अगर कभी बचत खाते में से इमरजेंसी में पैसा निकालना भी प़डे तो समय पर उसे वापस जमा करा दें।
प्रतिदिन के खर्चों का हिसाब रखें: आप अपने दैनिक खर्चों पर एक नजर डाले। आप स्वंय पर और परिवार पर कितना खर्च करते है। घर में एक दिन में कितना खर्च होता है। रोज ऑफिस की कैंटिन में खाने की अपेक्षा घर से लंच ले जाएं। बच्चों को उनकी जरूरत का ही सामान दिलाएं। दूसरों की देखा-देखी घर में अनावश्यक चिजों का ढ़ेर न लगाएं। जरूरी सामान ही खरीदें। बिजली व पानी का उचित उपयोग करके भी आप बचत कर सकते है।
सामान खरीदनें से पहले लिस्ट बनाएं: बाजार में कई ऎसी चीजें होती है, जिन्हे देखकर मन ललचा उठता है और आवश्यकता न होने पर भी हम उन्हे खरीद लेतें हैं। बेहतर होगा कि लिस्ट बनाकर ही बाजार जाएं। सामान खरीदते समय मोल-भाव करें, इससे निश्चित रूप से बचत होगी। क्रेडिट कार्ड का उपयोग आवश्यकता होने पर ही करें: जहां तक संभव हो, भुगतान कैश से ही करें। क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने से खर्च ज्यादा हो जाता है। बहुत सारे क्रेडिट कार्ड न रखें। जहां तक हो सके किश्तों पर सामान लेने से बचें। अन्यथा ब्याज देने में ही वेतन पूरा हो जाएगा और बचत का विचार भी मन में नहीं आयेगा।
अपना पैसा सेविंग स्कीम, मुचुअल फंड में डाले: नए ज़माने में निवेश के साधनों में मुचुअल फंड एक महत्वपूर्ण विकल्प है, ये आपको शेयर बाज़ार में निवेश का फायदा तो देते ही है साथ ही जोखिम को नियंत्रित करते है एवं कुछ चुने हुए फंड में आपको टैक्स में भी छुट मिलाती है, इसमे निवेश करने से पूर्व इसके जोखिम को भी समझ लेना चाहिए। मै आपको अपनी अगली पोस्ट में इसके बारे में विस्तार में बताऊंगा.

पोस्ट ऑफिस व बैंक अनेक सेविंग स्कीम चलाते है, जिनका फायदा आप उठा सकते हैं। आप केवीपी या एनएससी ले सकतें हैं , जिन्हे 5 से 6 वर्ष के बाद कैश कराया जा सकता है। आप पीपीएफ में भी पैसा डाल सकते हैं , इसमें टैक्स में भी छूट मिलती है और आपका पैसा भी सुरक्षित रहता है। स्मॉल सेविंग स्कीम लेना ज्यादा ठीक रहता है। इसके साथ ही आप इंश्योरेंस भी कराएं। इंश्योरेंस का अर्थ सुरक्षित जीवन तो है ही , साथ ही यह बचत करने का भी एक अच्छा विकल्प है इस तरह आप अपने पैसे की बचत कर के उसी पैसे से अपने जीवन के सपनों को साकार कर सकते है और आप पर कोई अतिरिक्त भार भी नहीं प़डेगा।

Monday, April 19, 2010

सेबी का सराहनीय कदम

सिक्युरिटीज़ एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया यानि की सेबी ने एक बहुत ही सराहनीय कदम उठाते हुए १ मई २०१० से आईपीओ के बाद लिस्टिंग के लिए दिनों की संख्या को २२ से घटा के १२ दिन कर दीया है इससे निवेशको के ८ बिलियन यानि करीब ८०० करोड़ रुपयों की बचत होगी।
यह बचत ब्याज के रूप में हो रहे निवशको के नुकसान के आधार पर तय की गयी है, साथ ही साथ जल्दी लिस्टिंग से निवेशको दुसरे अवसर भुनाने का भी लाभ मिलेगा|
कई उन्नत देशो में आईपीओ बंद होने और लिस्टिंग के बिच की अवधि मात्र ३ दिन है। देश की प्रमुख रेटिंग कम्पनी क्रिसिल के अनुसार २०१० में लगभग ४०००० करोड़ रुपये आईपीओ के द्वारा जुटाए जायेंगे।

Sunday, April 18, 2010

मौद्रिक नीति तय करेगी शेयर बाजार की दिशा

रिजर्व बैंक की मंगलवार, २० अप्रैल यानि की कल, वाली वार्षिक ऋण एवं मौद्रिक नीति शेयर बाजार की इस सप्ताह की दिशा तय कर सकती है। बाजार के लोगों में उत्सुकता है कि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति (Inflation) पर अंकुश लगाने और वृद्धि की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए क्या कदम उठाता है।

इस परबाजार के साथ पूरे उद्योग जगत की नजर रहेगी। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार कंपनियों के चौथी तिमाही के परिणाम भी बाजार की चाल को प्रभावित करते रहेंगे। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों को बड़ा सकता है।
अल्पकालिक नीतिगत ब्याज दरों मतलब रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, CRR (पाठक इन रेट्स के बारे में जानने के लिए मेरी पुरानी पोस्ट पड़े) में चौथाई से लेकर आधा फीसदी तक वृद्धि हो सकती है। केंद्रीय बैंक के इस कदम से बैंकिंग तंत्र में ब्याज दरे बड सकती है | हालांकि, स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक जैसे बड़े बैंक यह मान रहे हैं कि बैंकों के पास ऋण के लिए धन की तंगी नहीं है, इसलिए ब्याज दरों में तुरंत वृद्धि की संभावना नहीं दिखाई देती।
यूनिट लिंक्ड बीमा उत्पाद (यूलिप) को लेकर भी शेयर बाजार कुछ सहमा हुआ है। बाजार नियामक सेबी और बीमा नियामक इरडा
(IRDA) के बीच नाक की लड़ाई अब न्यायालय में पहुंच चुकी है। यहां होने वाले घटनाक्रम पर भी बाजार की नजर रहेगी।
बहरहाल बीते सप्ताह निवेशकों की मुनाफावसूली और विदेशी संस्थागत निवेशकों (ऍफ़ आई आई) की खरीदारी का जोर ज्यादा नहीं रहने से बंबई शेयर बाजार में समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान नौ सप्ताह से चली आ रही तेजी का दौर थम गया और अग्रिम पंक्ति के शेयरों में मुनाफावसूली से सूचकांक में 342 अंकों की गिरावट दर्ज की गई।
सप्ताह के दौरान बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक 17,591.18 अंक पर बंद हुआ। पिछले लगातार नौ सप्ताह के तेजी के दौर में सेंसेक्स में 2,017 अंकों अथवा 12.68 प्रतिशत की तेजी आई थी।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 99.15 अंकों की गिरावट के साथ 5,262.60 अंक पर बंद हुआ। बीएसई और एनएसई में कारोबार का आकार भी घटा है।

रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, बैंक रेट क्या होती है ?

जैसा की मैंने अपनी पिछली पोस्ट में आपसे वादा किया था, यहाँ मै आपको बेंको की रेटस एवं उनके प्रभाव के बारे में बता रहा हु
रेपो रेट 5%
जब भी बैंकों को धन की कोई कमी होती है वे रिजर्व बैंक से उधार ले सकता है.
रेपो दर वह दर है जिस पर बैंक, सिक्युरिटी के बदले आरबीआई से रुपए उधार लेते है. रेपो दर में कमी होने पर बैंकों को सस्ती दर पर पैसा उपलब्ध होता है एवं बड़ने पर महँगी दर से.

रिवर्स रेपो रेट 3.5%
यह रेट रेपो रेट की विपरीत है यानि जिस रेट पर रिज़र्व बैंक, अन्य बैंको से उधर लेता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते है. जब रिज़र्व बैंक को लगता है की बाज़ार में तरलता अधिक है यानि पैसा ज्यादा है तो वह बाज़ार से पैसा कम करने के लिए इसका प्रयोग करता है. जब यह रेट बढता है तब बेंक अपना पैसा रिसर्वे बैंक के पास रखते है जिससे उन्हें जोखिम रहित ब्याज मिलाता है, तदानुसार बैंक के पास अपने ग्राहकों के लिए पैसा कम रहता है जो बाज़ार से तरलता को कम करता है.

बैंक रेट 6%
यह रेट वह रेट है जिस पर रिसर्व बैंक अन्य बैंक को
कम अवधि के लिए उधार देता है, बैंक इस रेट को अपने ग्राहकों को उधार देने के लिए बेंचमार्क की तरह प्रयोग करते है, इस रेट को आज prime rate या prime lending rate भी कहते है.

कॉल रेट
इस रेट पर बैंक अन्य बेंको से दैनिक उधार का लेन देन करते है.

CRR केश रिसर्वे रेशो (5.75%)
बेंको को अपने डिपोसिट का कुछ हिस्सा CRR की दर पर रिसर्व बैंक के पास रखना होता है, इसका प्रयोग रिसर्व बैंक बाज़ार में तरलता नियंत्रण के लिए एवं जोखिम कम करने के लिए किया जाता है.

SLR Statutory liquid ratio 25%
CRR के अतिरिक्त बेंको को कुछ हिस्सा गवर्नमेंट सिक्युरिटी में भी रखना होता है, SLR रेट पर बेंक अपना पैसा गवर्नमेंट सिक्युरिटी में रखते है, इसका प्रयोग भी तरलता नियंत्रण के लिए किया जाता है.

एचडीएफसी ने पहले साल के लिए सस्ता किया होम लोन



नई दिल्ली। होम लोन उपलब्ध कराने वाली शीर्ष संस्था एचडीएफसी ने दोहरी दर योजना के अंतर्गत पहले साल के लिए आवास ऋण पर ब्याज दर घटाकर 8.25 फीसद कर दी है। यह फायदा सिर्फ नए ग्र्राहकों को मिलेगा।
योजना के अनुसार एचडीएफसी अगले साल मार्च 2011 तक 8.25 फीसदी की स्थिर ब्याज दर लेगी। उसके बाद अगले एक वर्ष के लिए यह दर नौ फीसद होगी। शेष अवधि के लिए ऋण पर फ्लोटिंग दर लागू होगी।
एचडीएफसी ने बयान में कहा, यह देरी दर वाला लचीला उत्पाद है। नई स्थिर दर सभी नए ऋणों पर लागू होगी। इस प्रकार की रिझाने वाली दरें हाल के दिनों में बहस का मुद्दा रही हैं। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा इस प्रकार की दर की घोषणा किए जाने के बाद एचडीएफसी समेत कई बैंकों ने पिछले साल इस प्रकार की स्थिर दर की घोषणा की थी लेकिन ब्याज दरों में बढोतरी की आशंका को देखते हुए इस प्रकार की अधिकतर पेशकश इस साल की शुरूआत में वापस ले ली गई। हालांकि स्टेट बैंक ने रिझाने वाली दर को 30 अप्रैल तक के लिए बढा दिया लेकिन दूसरे और तीसरे वर्ष के लिए इसे 8.5 फीसद से बढाकर नौ फीसद कर दिया।
एचडीएफसी ने कहा कि दोहरी दर की नई योजना के साथ उसकी फ्लोटिंग दर की स्कीम जारी रहेगी। फ्लोटिंग दर के तहत 30 लाख रूपए तक के ऋण पर ब्याज दर 8.75 फीसद, 30 से 50 लाख के ऋण पर नौ फीसद तथा 50 और उससे अधिक की राशि के ऋण पर ब्याज दर 9.25 फीसद होगी।